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बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2650
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान

प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।

अथवा
भारत में भ्रष्टाचार की समस्या की विवेचना कीजिए।

उत्तर -

भारत में राजनैतिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार आज भारत की नस नस में समा गया है। लिपिक से लेकर बड़े-बड़े अधिकारी और नेता रिश्वत के बल पर जी रहे हैं। भ्रष्टाचार के अनेक रूप हैं, उसमें राजनैतिक भ्रष्टाचार प्रमुख हैं। राजनीति द्वारा देश के कल्याण और प्रगति का जो सपना संजोया गया था वह आज चूर-चूर हो गया है। आज तो देश में कालाबाजारी, रिश्वतखोरी, जमाखोरी, मिलावट, अराजकता, अनैतिकता, बलात्कार, हिंसा, तस्करी आदि का बोलबाला है। अपराधों में बाढ़ सी आ गई है। इस संबंध में इलियट और मैरिल का यह कथन सत्य है कि राजनैतिक भ्रष्टाचार और संगठित अपराध एक-दूसरे से इतने अधिक संबंधित हैं कि दोनों को अलग करके नहीं देखा जा सकता।

भ्रष्टाचार के अनेक आरोप समय-समय पर अनेक मुख्यमंत्रियों व मंत्रियों के विरुद्ध लगते रहे हैं। इनकी अनियमितताओं तथा मनमाने ढंग से किये गये गैर कानूनी कार्यकलापों पर प्रायः परदा डाला जाता है। आज तो मुख्यमंत्री का अधिकांश समय कुर्सी बचाओ अभियान में बीतता है वे प्रायः दिल्ली दरबार में पड़े रहते हैं क्योंकि निहित स्वार्थ वाले लोग प्रायः अफवाहें उड़ाया करते हैं कि मुख्यमंत्री तो कुछ ही दिन के मेहमान हैं। वे कभी भी कुर्सी से अलग किये जा सकते हैं। ऐसी स्थिति में मंत्रियों के आदेशों की अवहेलना होने लगती है और सम्पूर्ण प्रशासन शिथिलता का शिकार होता है।

भ्रष्टाचार के अनेक मामले आए दिन पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहते हैं। इनका संबंध भूमि अधिग्रहण, सार्वजनिक निर्माण, गोपनीय सूचनाओं और फाइलों का दूसरे हाथों में चला जाना, नाते-रिश्तेदारों व चहेतों को अनुचित लाभ, देश-विदेश से खरीद फरोख्त, बैंक घोटाले, फर्मों को ऋण दिलवाना आदि से है। इनमें मंत्री, सरकारी कर्मचारी, व्यवसायी तथा राजनेताओं का हाथ रहता है। हाल में प्रकाशित भूमि अधिग्रहण के मामले में 52 करोड़ रुपये की घटना प्रकाश में आयी है। इस अभूतपूर्व लूट में भू० पू० उपराष्ट्रपति, न्यायाधीश प्रधानमंत्री सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी, सांसद, राज्यपाल, मंत्री तथा लोकसभा अध्यक्ष आदि पर पद के दुरुपयोग के आरोप हैं।

भारत में व्यापारिक औद्योगिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार

विश्व में देश चाहे विकसित हो या विकासशील, उन्नत हो या पिछड़े भ्रष्टाचार की समस्या से पीड़ित हैं। भारत में भ्रष्टाचार के क्षेत्र में तेजी से विस्तार हो रहा है और उसका प्रमुख रूप व्यापारिक और औद्योगिक क्षेत्र में मिलता है। इस क्षेत्र के भ्रष्टाचार के विश्वसनीय आंकड़े तो उपलब्ध नहीं हैं किन्तु इसकी अभिव्यक्ति काले धन, चोर बाजारी, मिलावट, तस्करी, मूल्य वृद्धि, टैक्स चोरी, गलत विज्ञापन, ट्रेडमार्क का उल्लंघन, धोखाधड़ी व लूट-खसोट आदि अनेक रूपों में होती है। डॉ० नागराज ने इस प्रकार के भ्रष्टाचार की जड़ें वर्तमान अर्थव्यवस्था मानी हैं जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को मनचाहा अपरिमेय धन एकत्र करने की छूट है तथा इस मान्यता का व्यापक प्रचलन है कि अर्थ, अर्थ से उत्पन्न होता है और बढ़ता है।

औद्योगिक कानूनों का उल्लंघन - व्यापारी और उद्योगपति धन के बल पर समाज विरोधी और कानून विरोधी क्रियाकलापों से धन कमाते हैं और निजी स्वार्थ के लिए राष्ट्र को अपार क्षति पहुंचाते हैं। वे यूनियन के नेताओं व अन्य अधिकारियों से सांठ-गांठ कर श्रमिकों की हित हानि करते हैं।

काला बाजार - अधिक और अनुचित कमाने की प्रवृत्ति काला बाजार को जन्म देती है। खाद्यान्न, चीनी, सीमेन्ट, डालडा आदि अनेक वस्तुओं में काला बाजारी मिलती है। वस्तुएं पर्याप्त मात्रा में होने पर भी उन्हें भूमिगत कर कृत्रिम अभाव उत्पन्न किया जाता है ताकि दूना चौगुना लाभ कमाया जा सके। दिखाने के लिए कुछ छापे डाले जाते हैं। सामान्यतः छापा डालने से पहले व्यापारियों को पता चल जाता है तथा वे पकड़ में नहीं आते। अधिकारी छोटे-मोटे व्यापारियों की पकड़ कर कारगुजारी दिखाते हैं।

मिलावट - भारतीय व्यापारी नकल और मिलावट में तो बड़े-बड़ों के कान काटता है। डिब्बे, लेबिल और ट्रेडमार्क आदि की नकल की जाती है किन्तु उसके अन्दर का माल नकली होता है। तेल, साबुन, इत्र सौंदर्य प्रसाधन, कपड़े, खेलकूद का सामान, दवाइयां आदि सभी चीजों की नकल देश में होती है। सस्ता होने के कारण यह असली से ज्यादा बिकता है। नकल ऐसी चतुराई से की जाती है कि 'अनेक लोगों को तो असली नकली का भेद ही पता नहीं चलता। देशी उत्पादों और विदेशी मोहर से न जाने कितने लोग ठगे जाते हैं।

कर चोरी - बड़े-बड़े उद्योगपति, अभिनेता, अभिनेत्रियां, कलाकार, अधिकारी कर चोरी के दोषी हैं। यद्यपि सरकार कर चोरी के प्रति गंभीर रुख अपनाने का ढिंढोरा पीटती है फिर भी कर चोरी में पीछे नहीं।

तस्करी - व्यापारिक भ्रष्टाचार का एक जाना माना रूप तस्करी है। भारत के सीमावर्ती राज्य पंजाब, राजस्थान, गुजरात तथा सीमा से जुड़े हुए देश पाकिस्तान, नेपाल व चीन आदि तस्करी के बहुत बड़े अड्डे हैं।

भारत में धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार

हिन्दू धर्म में - हिन्दू धर्म आध्यात्मिक चिन्तन के लिए विश्वविद्यालय है। इसमें सत्य, अहिंसा तथा जीव मात्र के प्रति दया व सहिष्णुता का संदेश है। इसमें भोग और त्याग, भौतिकता और आध्यात्मिकता, व्यक्ति-समाज में अद्भुत समन्वय और सन्तुलन मिलता है। इसी हिन्दू धर्म में अनेक बुराइयां भी धीरे-धीरे प्रवेश कर गई हैं। अनेक मठों, मन्दिरों, आश्रमों व धार्मिक संस्थानों में भ्रष्टाचार, अनियमितताएं व घोटाले आए दिन हुआ करते हैं। इस सम्बन्ध में राजस्थान का उदाहरण आंखें खोलने वाला है। राजस्थान के अधिकांश मंदिर देवस्थान विभाग के अधिकार में हैं। इन मन्दिरों की भूमि पर अनेक दुकानें, धर्मशालाएं, होटल बने हैं। चढ़ावे से भी देवालयों को बहुत आय होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार कई लाख रुपये प्रतिवर्ष का चूना देवस्थान विभाग को लगाया जाता है। यही नहीं पण्डे पुजारियों ने मिलकर मन्दिरों की करोड़ों रुपयों की सम्पत्ति को बिकवा दिया है। अपने रिश्तेदारों व सम्बन्धियों को मालिकाना हक दिलवाकर उन पर कब्जा करवा दिया है।

इस्लाम धर्म - इस्लाम धर्म में भी भ्रष्टाचार, शोषण, आर्थिक अनियमितताएं आदि के अनेक मामले प्रायः प्रकाश में आते रहते हैं। इनमें से कुछ उदाहरण यहाँ दिये जा रहे हैं। इस्लाम के प्रचार और प्रसार के नाम पर अरब देशों से भारी मात्रा में पैट्रो डालर और रियाल आता है। इसके घोटाले के कई मामले जनता के सामने आये हैं। इनमें से एक गम्भीर मामला जमायेतुल उलेमा के अध्यक्ष मौलाना असद मदनी से सम्बन्धित है। इन्होंने पिछले दिनों सऊदी अरब में 'हिन्दुस्तान इस्लाम खतरे में है' का नारा उछाला और भारत में इस्लामी फौज बनाने के लिए ढेरों रुपया बटोरा। यही नहीं मौलाना ने अरबी दैनिक शरकुल वस्ता में एक विज्ञापन भी दिया और बहुत सा धन एकत्र किया। यह धन कैसे भारत आया, किन बैंकों में जमा हुआ, उनका लेखा-जोखा कहाँ है? यह अब तक रहस्य का विषय है। कहने को तो जमात मुसलमानों की आदर्शवादी संस्था है किन्तु उसके लिए चन्दे की नियमित वसूली होती है।

ईसाई धर्म - ईसाई धर्म के प्रचार और प्रसार के लिए प्रयत्न अंग्रेजी शासनकाल के समय से चल रहे हैं। स्वतंत्र भारत में इन क्रियाकलापों में वृद्धि हुई है। धर्म के प्रचार में कोई हानि नहीं किन्तु जब धर्म पृथकता, घृणा, विद्वेष, विद्रोह से प्रेरित होता है तो उससे राष्ट्र की बड़ी हानि होती है। विदेशों से ईसाई मिशनों और उनके द्वारा संचालित संस्थाओं के लिए करोड़ों रुपये बेरोक-टोक आते हैं। हाल में 27 ईसाई संस्थाओं को विदेशी धन लेने पर रोक लगाई गई है। यह धन अमरीका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, पश्चिमी जर्मनी, हालैण्ड, आयरलैण्ड, कनाडा, स्विट्जरलैण्ड, मैक्सिको, फ्रांस, आस्ट्रिया, नार्वे, डेनमार्क, स्वीडन से भारत आया है जो केवल धार्मिक प्रचार के लिए ही नहीं वरन् तोड़-फोड़, जासूसी, धर्मान्तरण, पृथक्करण आदि पर खर्च होता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
  2. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
  3. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  5. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  6. प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
  7. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
  9. प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
  12. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
  13. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
  14. प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
  15. प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
  16. प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
  17. प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
  18. प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
  19. प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
  20. प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
  21. प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
  22. प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
  23. प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
  25. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  26. प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
  28. प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
  29. प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
  30. प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
  31. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  32. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
  33. प्रश्न- 'गठबन्धन धर्म' से क्या तात्पर्य है? क्या यह नियमों एवं सिद्धान्तों के साथ समझौता है?
  34. प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
  35. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
  36. प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
  38. प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  40. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
  43. प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
  45. प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
  46. प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
  47. प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
  48. प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
  49. प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
  50. प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
  51. प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
  52. प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
  54. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  55. प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
  56. प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
  60. प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  62. प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
  63. प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
  64. प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  65. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  66. प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
  67. प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
  68. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  69. प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
  70. प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
  71. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
  73. प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
  76. प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
  77. प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  78. प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
  79. प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
  82. प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
  83. प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
  84. प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
  85. प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
  86. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
  87. प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
  88. प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
  89. प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
  90. प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
  91. प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
  92. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
  93. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
  94. प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
  95. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
  96. प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
  97. प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
  98. प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
  99. प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
  100. प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  102. प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
  104. प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
  105. प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
  106. प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  110. प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
  111. प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  112. प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
  113. प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
  114. प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
  115. प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
  116. प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
  117. प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
  118. प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।

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